Best Moral Story in Hindi Short (2021) - Exomations stories

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Moral story in Hindi Short

आज की कहानी में हम दो दोस्तों के बारे में पड़ेंगे| जो एक जमींदार की जमीन पर काम करते हैं| लेकिन उन दोनों में से एक मित्र पर जमींदार गुस्सा हो जाता है और बाद में क्या होता है? यह जानने के लिए कहानी को अंत तक पूरा पढ़िए|




 सच्चा विश्वास (True faith)


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Short story on parishram in Hindi

 रामनगर नामक गांव में दो मित्र रहते थे| उनका नाम मोहन और राजेश था| वे दोनों एक ही गांव में रहते थे| एक दिन मोहन ने राजा से कहा - “ राजेश भाई! हमें कुछ काम करना चाहिए| बहुत दिन हो गए हमने कोई  भी काम नहीं किया|  हमें अपना  गुजारा करने के लिए कुछ तो काम करना ही होगा|  मोहन की बात सुनकर राजेश ने कहा- “तुम सही कह रहे हो| मोहन हमें कोई न कोई तो काम करना ही होगा|”


 मोहन ने कहा -“मैंने सुना है कि हमारे पास वाले गांव में एक बहुत बड़ा जमींदार रहता है| उसके पास बहुत सारी जमीनें है| क्यों ना हम वहां जाकर जमींदार की जमीन पर काम करें| जिससे हमारा गुजारा भी हो जाएगा| मोहन को राजेश की बात सही लगी| 


अगले दिन  दोनों जमींदार के घर गए| उस गांव का जमींदार बहुत दयालु था| वह सब की मदद करता था| वह लोगों को अपनी जमीन पर काम करने के लिए कभी भी मना नहीं करता था| जमींदार ने मोहन और राजेश दोनों को अपनी जमीन पर काम करने के लिए अनुमति दे दी| 


अगले दिन मोहन और सोहन दोनों काम के लिए खेत को रवाना हो गए| मोहन  परिश्रमी था| वह अपना काम पूरे परिश्रम के साथ कर रहा था परंतु राजेश  आलसी था|  जब मोहन काम कर रहा होता तो वह  बरगद के पेड़ के नीचे आराम करता था| मोहन खेत का सारा काम करता था| शाम होने पर मोहन नहाने  के लिए चला गया|  राजेश ने थोड़ी सी मिट्टी अपने कपड़ों पर लगा ली जिससे जमींदार को लगे कि उसने बहुत अधिक परिश्रम किया है| 


जमींदार को भी लगता था कि राजेश बहुत परिश्रम कर रहा है  वह राजेश से बहुत खुश था| वह राजेश पर विश्वास करने लगा था ऐसे ही  कुछ दिनों तक मोहन खेत का सारा काम करता और राजेश बरगद के पेड़ के नीचे आराम करता  रहता था| एक दिन जमींदार के रसोइए को पता चला कि राजेश अपना खाना कम खा रहा है वहीं दूसरी ओर मोहन ज्यादा खा रहा है| उसने सोचा कि राजेश तो खेत में बहुत परिश्रम करता है फिर भी उसे भूख क्यों नहीं लग रही| वहीं दूसरी और मोहन ज्यादा खाना खा रहा है| 


 रसोइए को दाल में कुछ काला लगा| उसने यह बात जमींदार की पत्नी को  बता दी| जमींदार की पत्नी सारा माजरा समझ गई थी| उसे पता चल गया था कि राजेश जमींदार की आँख में धूल झोंक रहा है| उसने जमींदार को सारी बात बता दी जो उसे रसोइए ने बताई थी| जमींदार को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था| लेकिन जमींदार को पता चल गया था कि  राजेश उसे धोखा दे रहा है|


अगले दिन जमींदार खुद खेत में गया यह जानने के लिए कि राजेश खेत में क्या करता है? जमींदार ने खेत में देखा कि मोहन खेत पर अधिक परिश्रम कर रहा है और राजेश आराम से बरगद के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा है| जमींदार को क्रोध आ गया जमींदार राजेश के पास आकर बोला - “मैंने तुम पर विश्वास किया और तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया| मैं तुम्हें यहां से निकालता हूं|” 


राजेश जमींदार की बात पर डर गया था| वह जमींदार से माफी मांगने लगा लेकिन जमींदार ने उसे माफ नहीं किया| अंत में मोहन ने जमींदार से राजेश को माफ करने की विनती की जमींदार ने राजेश से कहा - “मैं तुम्हें मोहन के कहने पर छोड़ रहा हूं लेकिन आगे से ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए| अब राजेश मोहन के साथ अधिक परिश्रम करने लगा|


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 शिक्षा  - हमें कभी भी दूसरों का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए जो दूसरों का विश्वास तोड़ता है उसे उसकी सजा मिलती है|


आशा है आपको यह कहानी अच्छी लगी होगी| अगर आप मजेदार, Moral stories in Hindi and English पढ़ना चाहते हैं तो  मेरी website exomations.blogspot.com पर पढ़ सकते है|


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