Latest Panchtantra story in hindi (2021)

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Panchtantra ki story

दोस्तों! आज की कहानी काफी दिलचसप होने वाली है| आज की कहानी में  हम एक बगुले के बारे में पढ़ेंगे जो काफी आलसी था| उसे बिना कोई काम किये खाना चाहिए था| एक दिन उसके पास एक तरक़ीब आयी उसने कुछ ऐसा किया जिससे  उसको बिना कुछ काम किये खाना मिलने लगा| आख़िर उसने क्या किया होगा? जानने के लिए कहानी को पूरा पढ़े| 🥰

बगुला और केकड़ा


Panchtantra story in hindi


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एक जंगल था| और उसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था| उस तालाब में नाना प्रकार के जीव पक्षी, मछलियां,  कछुए और केकड़े आदि रहते थे| उसी तालाब के पास एक बगुला भी रहता था| जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता| वह बड़ा आलसी था| वह हमेशा यही उपाय सोचता रहता था कि कैसे बिना हाथ -पैर हिलाए| बिना काम किए रोज भोजन मिल जाया करें|


 एक दिन उसे एक उपाय सूझ ही गया| एक दिन वह तालाब के किनारे खड़े होकर नकली आंसू बहाने लग गया| 1 केकड़े  ने उसे आंसू बहाते देखा तो उससे कारण पूछा - “मामा! आप रो क्यों रहे हो?”


बगुले ने बोला- “बेटा! बहुत कर लिया मछलियों का शिकार| अब मैं यह पाप कर्म और नहीं करना चाहता| मेरी आत्मा जाग उठी है|” बगुले की बात सुनकर केकड़ा बोला - “ मामा जी! आप कोई काम नहीं करोगे| कुछ खाओगे नहीं तो जिंदा कैसे रहेंगे?” बगुले ने  केकड़े की बात सुनकर एक लंबी सांस ली और बोला- “ वैसे भी हम सबको जल्दी मरना ही है| मुझे पता चला है कि शीघ्र ही यहां 12 वर्ष का लंबा सूखा पड़ेगा और उसमें कोई नहीं बचेगा| यह बात मुझे एक महान महात्मा ने बताई थी| महात्माओं की भविष्यवाणी कभी गलत साबित नहीं होती| वह जो भी कहते हैं वह सच होता है|”  


केकड़े ने बगुले की यह बात जानकर सबको बताया कि कैसे बगुले ने अहिंसा का मार्ग अपना लिया और सूखा पड़ने वाला है| यह सुनते ही उस तालाब के सारे जीव दौड़े-दौड़े बगुले  के पास आए और बोले- “मामा! अब तुम ही हमें बचा सकते हो आप ही हमें कोई रास्ता बता सकते हो|”


यह सुनकर  बगुला बोला - “यहाँ  से थोड़ी दूर पर एक जंगल है| वहां पर एक बढ़िया तालाब भी है जिसमें पानी और झरना गिरते है| वहां का नजारा भी बहुत अच्छा है और वह कभी भी नहीं सूखता| यदि तुम सब लोग वहां चले जाओ तो तुम बच सकते  है|” 


यह सुनकर वहां के जानवरों ने कहा - “पर! !हम लोग वहां जाएंगे कैसे?” यह सभी जीवों ने पूछा तब बगुला बोला - “तुम लोग चिंता मत करो! मैं तुम्हें एक- एक करके अपनी पीठ पर बैठाकर वहां तक ले जाऊंगा| क्योंकि मैं तो अपना सारा जीवन दूसरों की सेवा में लगाना चाहता हूं| इसलिए तुम चिंता मत करो|”

panchtantra story in hindi with moral


 सभी जानवर बगुले की बात सुनकर खुश हो गए और  बगुले की सब जय-जयकार करने लग गए| अब बगुला रोज एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता और कुछ दूर  ले जाकर एक चट्टान के पास जाकर उसे मारकर खा जाया करता था| अब धीरे-धीरे चट्टान के पास मरे हुए जीवों की हड्डियां का ढेर बढ़ने लगा था और बगुले की सेहत बनने लगी थी| 


वह खा- खाकर मोटा हो गया था| बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा| बगुला हर दिन किसी को अपने साथ ले जाता और उसी तालाब के पास मारकर खा जाया करता था| एक दिन केकड़े  ने बगुले से कहा- “मामा! आपने इतने सारे जानवरो को उस तालाब तक पहुंचा दिया लेकिन मेरी बारी अभी तक नहीं आई| मुझे कब आप उस तालाब के पास ले जाओगे?” 


यह सुनकर बगुले ने कहा- “ बेटा! आज तेरी ही बारी है| आजा मेरी पीठ पर बैठ जा|” केकड़ा खुश होकर बगुले की पीठ पर जल्दी से बैठ गया और जब वह चट्टान के निकट पहुंचा तो ऊपर से हड्डियों का ढेर देख कर केकड़े को सब कुछ समझ आ गया| उसे सारी बात समझते देर नहीं लगी लगी| 


वह जल्दी से उठा परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और तुरंत अपने नुकीले हाथों की मदद  से बगुले की गर्दन दबा दी और तब तक दबाई रखी जब तक उस बगले के प्राण निकल न गए|  बगुले का कटा सिर लेकर और केकड़े ने बगुले की सच्चाई बताई कि कैसे उस आलसी बगुले ने उन्हें धोखा दिया| अब सारे जानवर समझ चुके थे|

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कहानी की शिक्षा👉

 इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बिना सोचे समझे किसी भी बात पर आंखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए| हमें हमेशा अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए और सही बात पर विश्वास करना चाहिए|


दोस्तों! आशा है आपको मेरी Panchtantra ki kahani अच्छी लगी होगी| अगर अच्छी लगी तो Comment करके बताइये|😋


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