Bhagwan Jagannath Story in Hindi | भगवान जगन्नाथ की सच्ची कहानी जानिए

भगवान जगन्नाथ: भारतीय धर्म एवं साहित्य का अद्वितीय अध्याय

Bhagwan Jagannath Story in Hindi | भगवान जगन्नाथ की सच्ची कहानी जानिए


केवल
धार्मिक संघर्षों के क्षेत्र में ही नहीं, भारतीय साहित्य और संस्कृति में भी विशेष महत्वपूर्ण स्थान है भगवान जगन्नाथ की कथा। यह भारतीय परंपराओं का आदर्श उदाहरण है, जिसमें सद्भाव, एकता, और भारतीय धर्म की आदर्श भावनाएं प्रतिष्ठित हैं। इस लेख में, हम आपको भगवान जगन्नाथ की कथा के बारे में विस्तार से बताएंगे।

भगवान जगन्नाथ की कथा देशभर में अत्यंत प्रसिद्ध है, लेकिन यह विशेष रूप से ओडिशा राज्य में प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रूप में पूजे जाते हैं और पूरे विश्व में भगवान जगन्नाथ की भक्ति फैली हुई है।

भगवान जगन्नाथ की कथा का मूल रूप रथयात्रा के समय निकलता है। यह अद्वितीय धार्मिक उत्सव ओडिशा के पुरी नगर में हर साल होता है। रथयात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ अपने भ्राता बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ नवमी तिथि को अपने मंदिर से रथ में बिठाए जाते हैं। इस रथ को लोग सम्पूर्ण नगर में घुमाते हैं और भगवान के दर्शन के लिए उनकी भक्ति को व्यक्त करते हैं। यह एक अद्वितीय दृश्य है जब हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ के पीछे दौड़ते हैं और उनका दर्शन करने के लिए प्रयास करते हैं।

भगवान जगन्नाथ के इतिहास के बारे में कई प्रमाणिक और अप्रमाणिक कथाएं हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के मंदिर का निर्माण करने का श्रेय राजा इंद्रद्युम्न माना जाता है। इंद्रद्युम्न राजा एक स्वर्गीय मंदिर की खोज में निकले और भगवान जगन्नाथ की प्रार्थना की गई जिसके बाद भगवान ने राजा को स्वप्न में दिखाई दिए और मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा।

एक और कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ एक प्राचीन तपस्वी थे जो अपने आत्मा को परमात्मा के साथ मिलाने के लिए प्रयत्नशील थे। एक दिन, भगवान ने एक पुराने वृक्ष के नीचे ध्यान लगाने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने एक विपणित पुष्पक स्थापित किया, जिसे अनेक जन देखने आए। भगवान ने उनके बारे में देखा और अपने आप को प्रकट कर दिया, जो भयंकर रूप ले गया। भगवान ने उनसे कहा कि उन्हें प्रतिदिन नाम बुलाया जाएगा और वे सबसे पहले अपनी पूजा करेंगे। यही कारण है कि भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है और उन्हें विभिन्न प्रकार के पुष्प और भोग चढ़ाए जाते हैं।

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य भी आकर्षक है। मूर्ति के चेहरे का आकार अनोखा है और विशेष रूप से उनकी आंखें अवचेतन और नितांत द्रव्यमय हैं। इसे जगन्नाथ के 'नयनचक्र' के रूप में जाना जाता है। मूर्ति की उपस्थिति में एक और विशेषता है, जिसे 'दारुब्रह्म' कहा जाता है। इसका मतलब है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी से बनी हुई है, जिसे हर 12 वर्ष में नई मूर्ति से प्रतिष्ठित किया जाता है।

भगवान जगन्नाथ की कथा में अन्य कई महत्वपूर्ण कथाएं हैं, जैसे कि राणी पद्मिनी की कथा और भगवान जगन्नाथ की प्रेम कथा। इन कथाओं में भगवान के प्रेम और सादगी की अद्भुत भावना दर्शाई जाती है।

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